गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः, गुरुर्देवो महेश्वरः। गुरु साक्षात् परब्रह्म, तस्मै श्री गुरवे नमः॥ गुरु परंपरा की संस्कृति भारत की सबसे पुरानी और सबसे महत्वपूर्ण संस्कृति रही है. जो ज्ञान और विद्या देता है, उन गुरुजनों का आदर और सम्मान हिन्दू संस्कृति में हमेशा से सबसे सर्वोपरि रहा है. इसी परंपरा का सम्मान करते हुए चिन्मय विद्यालय, बोकारो ने बहुत धूमधाम से शिक्षक दिवस को मनाया. सभी विद्यार्थियों ने अपने शिक्षकों को खूब सारा सम्मान और प्यार बांटा. साथ ही, भारत के पूर्व राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन को भी याद किया और उनका जन्म दिवस मनाया। कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्जवलन से हुई. इस कार्यक्रम की खास बात ये रही कि पूरा समारोह विद्यालय के विद्यार्थियों ने ही आयोजित किया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में विद्यालय के अध्यक्ष बिस्वरूप मुखोपाध्याय, सचिव महेश त्रिपाठी , कोषाध्यक्ष आर एन मल्लिक, प्राचार्य सूरज शर्मा , उप प्राचार्य नरर्मेन्द्र कुमार एवं हेड मास्टर गोपालचंद मुंशी मौजूद थे।
समारोह की शुरुआत स्वागत गीत व गुरु वंदना से हुई
समारोह की शुरुआत में स्वागत गीत और गुरु वंदना नृत्य ने सभी शिक्षकों और विद्यार्थियों का मन हर्षोल्लास से भर दिया। इसके बाद काउंसिल मेंबर्स ने ऑडिटोरियम हॉल में उपस्थित सभी शिक्षकों का खास अंदाज में स्वागत किया और एक स्वरचित कविता सुनाई। इसके बाद कक्षा 10वीं के विद्यार्थियों ने एक स्किट प्रस्तुत किया, जिसमें विद्यालय के कक्षा की झलक दिखाई गई। कार्यक्रम में विद्यार्थियों ने कविता पाठ किया और सभी शिक्षकों को उनके योगदान और सपोर्ट के लिए धन्यवाद किया। इस कड़ी में आगे कक्षा 11वीं और 12वीं के विद्यार्थियों ने भी एक सुंदर और प्रेरणात्मक स्किट प्रस्तुत किया।
गुरुजनों को याद रखना जरूरी- सूरज शर्मा
शिक्षक दिवस समारोह के अंत में सभी शिक्षकों और विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए प्राचार्य सूरज शर्मा ने सबसे पहले समारोह का आयोजन करने वाले सभी विद्यार्थियों का हौसला बढ़ाया। उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों द्वारा लगाई गई मेहनत साफ नजर आ रही है। इसके बाद श्री शर्मा ने अपने गुरुजनों को याद किया और कहा कि शिक्षक हमेशा किसी की जिंदगी संवारता ही है। उन्होंने कहा कि शिक्षकों के योगदान को साल में एक बार नहीं, बल्कि हर विद्यार्थी की अपने पूरे जीवन में याद रखना चाहिए। श्री शर्मा ने कहा कि विद्यालय में शिक्षकों की भूमिका किसी अभिभावक से भी बढ़ कर होती है।
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