बीआईटी मेसरा में आयोजित राज्य स्तरीय अंतरिक्ष प्रतियोगिता में डीपीएस बोकारो ने जीते पुरस्कार


डीपीएस (दिल्ली पब्लिक स्कूल) बोकारो के विद्यार्थियों ने एक बार फिर अपनी वैज्ञानिक प्रतिभा और कुशल रचनात्मकता का परिचय दिया है। राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस के उपलक्ष्य में बीआईटी (बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी) मेसरा में आयोजित राज्य स्तर की अंतर-विद्यालय अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी प्रतियोगिता में विद्यार्थियों ने अपने अभिनव प्रोजेक्ट के दम पर सीनियर वर्ग में पहला और जूनियर वर्ग में तीसरा स्थान प्राप्त कर विद्यालय का गौरव बढ़ाया। प्रतियोगिता में झारखंड के विभिन्न जिलों के विद्यालयों से आए कुल 160 प्रतिभागियों ने भाग लिया था। जीत हासिल कर लौटी डीपीएस बोकारो की दोनों टीमों ने सोमवार को प्राचार्य डॉ. एएस गंगवार से मिलकर अपने अनुभव साझा किए। प्राचार्य ने उन्हें बधाई देते हुए उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की। उन्होंने कहा कि विद्यालय अपने छात्र-छात्राओं की वैज्ञानिक प्रतिभा को निखारने का हर अवसर प्रदान करता रहा है और बच्चे राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने हुनर का प्रदर्शन भी करते रहे हैं। शिक्षकों के कुशल मार्गदर्शन में इस प्रकार की उपलब्धियां इन्हीं प्रयासों का परिणाम है।  

मॉडल रॉकेट से लेकर सॉलिड मोटर इंजन भी थे शामिल 

प्रतियोगिता में विद्यालय के छात्र-छात्राओं ने उन्नत अंतरिक्ष परियोजनाओं को प्रस्तुत किया। 12वीं कक्षा की अंजलि शर्मा और 10वीं के विस्मय विहांग के नेतृत्व में सीनियर टीम ने अपने अभियंत्रण कौशल का परिचय देते हुए सॉलिड मोटर इंजन से चलने वाला एक मॉडल रॉकेट तैयार किया, जिसमें वायुगतिकी, प्रणोदन और प्रक्षेपवक्र विश्लेषण के सिद्धांतों का व्यावहारिक अनुप्रयोग दिखाया गया। इसके अलावा, टीमों ने सैटेलाइट के काम करने वाले प्रोटोटाइप भी बनाए, जिसमें बिजली आपूर्ति, संचार मॉड्यूल और पेलोड परिनियोजन जैसी प्रणालियां शामिल थीं। टीम ने कॉम्पैक्ट सैटेलाइट तकनीक का प्रदर्शन करते हुए लघु पिको सैटेलाइट्स भी विकसित किए, जो कम पृथ्वी की कक्षा के प्रयोगों के लिए उपयुक्त हैं। सीनियर टीम में कक्षा 11 के हर्षित प्रकाश तथा नौवीं कक्षा से आयुषी शर्मा व अमित दत्ता भी शामिल थे। इस टीम को ट्रॉफी, प्रमाण-पत्र और मेडल से पुरस्कृत किया गया।

अंतरिक्ष के कचरे प्रबंधन में हो सकती है अहम भूमिका 

प्रतियोगिता में तृतीय रही जूनियर टीम ने भविष्योन्मुखी प्रोजेक्ट अंतरिक्ष मलबे को हटाने के लिए तैयार किए गए सैटेलाइट मॉडल को प्रस्तुत किया। क्यूबसैट नामक इस प्रोजेक्ट का मकसद अंतरिक्ष के कचरे को साफ करना नहीं, बल्कि उसका पता लगाना, उसकी जानकारी इकट्ठा करना और उस पर नजर रखना है। यह छोटा और सस्ता सैटेलाइट, जो पृथ्वी की निचली कक्षा में काम करते हुए अपने कैमरे, सेंसर और जीपीएस की मदद से अंतरिक्ष के कचरे का पता लगाता है। इस प्रोजेक्ट की मदद से भारत अंतरिक्ष में कचरा-प्रबंधन के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है, जिससे भविष्य में सैटेलाइट और अंतरिक्ष मिशन ज्यादा सुरक्षित हो सकें। जूनियर टीम में आठवीं कक्षा के श्रेष्टा चतुर्वेदी, यश राज, प्रतीक वर्मा, धव्य दर्शित और प्रत्यूष कुमार शामिल रहे, जिन्हें सर्टिफिकेट और मेडल से पुरस्कृत किया गया। विद्यालय की दोनों ही टीमों ने अपनी प्रस्तुतियों से सबकी भरपूर सराहना पाई। विद्यार्थियों ने कहा कि चंद्रयान- 3 की सफल लैंडिंग की स्मृति में राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस में भाग लेना उनके लिए सुखद अद्भुत अनुभव था। उक्त कार्यक्रम में इसरो के वरिष्ठ वैज्ञानिक टी. शिवामुरुगन वर्चुअल मोड में बतौर मुख्य अतिथि शामिल रहे। जबकि, मौके पर बीआईटी मेसरा के उप कुलपति प्रो. इंद्रनील मन्ना सहित कई विज्ञान व अभियंत्रण से जुड़े कई गणमान्य लोग मौजूद रहे।

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