भारतीय संस्कृति की गूंज जर्मनी तक – डीपीएस बोकारो के विद्यार्थियों का कमाल


डीपीएस बोकारो की ओर से अपने विद्यार्थियों के समग्र विकास और वैश्विक नागरिक के रूप में विकसित किए जाने का एक और उदाहरण सामने आया है। विद्यालय के दो विद्यार्थियों- अपराजिता सिंह और आदित्य लाल ने जर्मनी में न केवल अपनी प्रतिभा का परचम लहराया, बल्कि भारतीय सभ्यता, संस्कृति और परंपरा की छाप भी छोड़ी। गोएथे-इंस्टीट्यूट, जर्मनी की ओर से संचालित वैश्विक पहल- पाश का सदस्य विद्यालय होने के नाते डीपीएस बोकारो के विद्यार्थियों ने पुनः यह गरिमामयी अनुभव अर्जित किया है। बता दें कि पाश का उद्देश्य दुनिया भर के स्कूलों में जर्मन भाषा और संस्कृति को बढ़ावा देना है। यह पहल लगभग 2,000 स्कूलों के नेटवर्क को एक साथ लाती है, जिनमें से लगभग 670 स्कूल गोएथे-इंस्टीट्यूट द्वारा समर्थित हैं। 

जर्मनी में उच्च शिक्षा को सुलभ बनाना मुख्य उद्देश्य 

जर्मन भाषा और संस्कृति को बढ़ावा देने, जर्मन भाषा सीखने वालों को प्रोत्साहित करने और जर्मनी में उच्च शिक्षा को सुलभ बनाने के उद्देश्य से गोएथे इंस्टीट्यूट द्वारा विशेष छात्रवृत्ति के तहत विद्यालय में 10वीं की छात्रा अपराजिता और 9वीं के आदित्य को चयनित किया गया। जर्मनी के नॉर्डफ्रीज़लैंड स्थित सांक्ट पीटर-ऑर्डिंग में उन्हें 21 दिनों तक रहने और विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से देश-विदेश के विभिन्न पार्टनर स्कूलों के विद्यार्थियों के साथ अपने अनुभव आदान-प्रदान करने का अवसर मिला। पूरे झारखंड से इन दोनों को ही एकमात्र यह मौका मिला।

स्कूल एसेंबली में दोनों ने साझा किया अनुभव 

जर्मनी से लौटने पर मंगलवार को विद्यालय में दोनों विद्यार्थियों ने एसेंबली में अपने अनुभव साझा किए और प्राचार्य डॉ. ए. एस. गंगवार ने उन्हें प्रोत्साहित किया। विद्यार्थीद्वय ने बताया कि जर्मन शब्दकोश, भाषाई कौशल, संचार दक्षता आदि मानकों पर खरा उतरने के बाद उनका चयन किया गया। इसके बाद गोएथे इंस्टीट्यूट के साक्षात्कार में वे सफल रहे और कोलकाता स्थित गोएथे इंस्टीट्यूट के ब्रांच में ओरिएंटेशन प्रोग्राम में वे शामिल हुए। तदुपरांत कोलकाता से दोहा, कतर और वहां से जर्मनी के हैम्बर्ग में उतरकर वे कार्यक्रम-स्थल सांक्ट पीटर-ऑर्डिंग पहुंचे। वहां उन्होंने जर्मनी की संस्कृति, रहन-सहन, खान-पान, भाषा और विभिन्न स्थानों के बारे में चली क्लास में भाग लिया।

खेलकूद आदि में लिया हिस्सा 

 इसके अलावा, भांति-भांति के खेलकूद, गायन-वादन, बेकिंग और साइक्लिंग जैसी स्पर्धाओं में भी हिस्सा लिया। आदित्य ने जहां भारत से पहुंचे लगभग 20 बच्चों की टीम का प्रतिनिधित्व करते हुए सांस्कृतिक कार्यक्रमों में मंच उद्घोषणा की, वहीं अपराजिता ने गणेश वंदना एवं बॉलीवुड गीतों की सुरीली प्रस्तुति से अपने देश की सांस्कृतिक पहचान को मजबूती से रखा। दौरे की अंतिम कड़ी में उन्हें जर्मनी के हैम्बर्ग, बुसुम, हेन्सबर्ग आदि शहरों में घूमने और वहां के रहन-सहन से वाकिफ होने का मौका मिला। अपराजिता और आदित्य ने इस भ्रमण को अपने जीवन का अविस्मरणीय अनुभव बताया।

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