परम पुरुष के प्रति जो प्रेम है उसे ही भक्ति कहते हैं : आचार्य विश्वदेवानंद अवधूत


आनंद नगर में आयोजित विश्व स्तरीय धर्म महासम्मेलन को संबोधित करते हुए आनंद मार्ग प्रचारक संघ के पुरोधा प्रमुख श्रद्धेय आचार्य विश्वदेवानंद अवधूत ने कहा कि राधाभक्ति का चरम भाव: प्रभु! तुम सिर्फ मेरे हो और मेरे होकर ही रहोगे। भक्ति अनेक रूपों में अभिव्यक्त होती है। इसका मूल है श्रद्धा, और श्रद्धा का आधार है प्रेम। प्रेम का अर्थ अखंड सत्ता के प्रति आकर्षण है. भक्ति की दूसरी अवस्था में भक्त का प्रेम तीव्र हो जाता है। जैसे मनुष्य इंद्रियसुख के लिए अनेक जोखिम उठाता है, वैसे ही सच्चे भक्त को परमपुरुष के प्रति तीव्र प्रेम रखना चाहिए; अन्यथा मन विषय-रस में डूब जाता है। परमपुरुष के अभाव में जो पीड़ा उत्पन्न होती है, वही विरह है। भगवान ही प्रेमपद हैं, और साधक प्रेमी है। जब प्रेमी परमप्रेमपद को पा लेता है, तब वह स्वयं भी प्रेममय हो जाता है। जब जीव का चित्त सभी विषयों से हटकर केवल परमपुरुष की ओर केन्द्रित हो जाता है। वह कहता है हे प्रभु! जगत में मुझे कुछ नहीं चाहिए, केवल तुम्हीं चाहिए। आचार्य जी ने निष्कर्ष में कहा कि हे परमपुरुष! तुम्हें छोड़कर मैं कहीं नहीं जा सकता। जब तुम्हें पा लिया, तो पाने को और कुछ शेष नहीं रहा। ऐसी स्थिति को ही राधा-भाव कहा जाता है।अतः साधक को प्रति मुहुर्त राधा-भाव में स्थापित होकर साधना करनी चाहिए।

भक्ति पथ नहीं है बल्कि भक्ति लक्ष्य है 


भक्ति पथ नहीं है बल्कि भक्ति लक्ष्य है जिसे हमें प्राप्त करना है साधारणत: लोग ज्ञान और कर्म के साथ भक्ति को भी पथ या मार्ग ही मानते हैं परंतु ऐसा नहीं है। उन्होंने कहा कि जीवन में जितने भी अनुभूतियां होती भक्ति की अनुभूति सर्वश्रेष्ठ है। ज्ञान मार्ग और कर्म मार्ग के माध्यम से मनुष्य भक्ति में प्रतिष्ठित होते हैं और बाबा कहते हैं कि भक्ति मिल गया तो सब कुछ मिल गया तब और कुछ प्राप्त करने को कुछ नहीं बच जाता। भक्ति आ जाने पर मोक्ष यूं ही प्राप्त हो जाता है । भक्त और मोक्ष में द्वंद होने पर भक्त की विजय होती है मोक्ष यूं ही रह जाता है.  पुरोधा प्रमुख ने कहा कि परमात्मा  कहते हैं  कि  मैं भक्तों के साथ रहता हूं.  जहां वे मेरा गुणगान करते हैं.  कीर्तन करते हैं. परम पुरुष के प्रति जो प्रेम है उसे ही भक्ति कहते हैं। निर्मल मन से जब इष्ट का ध्यान किया जाता है तो भक्ति सहज उपलब्ध हो जाता है।

और नया पुराने