अपने-अपने पति की लंबी दीर्घायु की कामना लेकर महिला श्रद्धालुओं ने की वट वृक्ष की पूजा-अर्चना
अंतिम में यमराज ने सावित्री से कहा कि तुम्हारी पति भक्ति से मैं प्रसन्न हूं। कोई एक वरदान मांग लो। तब सावित्री ने वरदान यह मांगा कि मेरे सास और श्वसुर अपने पुत्र के हाथ से खीर खाते हुए देख सकें। यमराज ने तथास्तु कह दिया। उसके बाद जैसे ही वे आगे बढ़ने लगे तो सावित्री भी पीछे-पीछे चलना जारी रखी। यमराज ने कहा कि अब तो तुम वरदान ले चुकी हो तो मेरे पीछे क्यों आ रही है। तब सावित्री ने कहा कि मेरे पति के प्राण लेकर आप चले जायेंगे तो हमारे सास और श्वसुर कैसे अपने पुत्र से खीर खाएंगे। यह सुनकर यमराज सोच में पड़ गए। वो वरदान दे चुके थे तो कैसे उसे वापस लेते। अंत मे यमराज ने सत्यवान के प्राण लौटा दिए। साथ ही सत्यवान के अंधे माता-पिता की आंखों की रोशनी लौट गई।
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