विशेष शुभ संयोग में की गई वट सावित्री की पूजा-अर्चना

अपने-अपने पति की लंबी दीर्घायु की कामना लेकर महिला श्रद्धालुओं ने की वट वृक्ष की पूजा-अर्चना


अपने पति की लंबी आयु की कामना लेकर महिला श्रद्धालुओ ने वट सावित्री का व्रत रखा। वट सावित्री के दिन सोमवती अमावस्या का शुभ संयोग बनने से व्रत की महिमा बढ़ गई। श्रद्धालु महिलाओं ने वट वृक्ष में मौली बांधकर परिक्रमा की। उसके बाद धूप, दीप और नैवेध से वट वृक्ष की पूजा पूरी श्रद्धा से की। उसके बाद पंडित से सत्यवान-सावित्री की कथा भी सुनी। पंडित धर्मेंद्र कुमार पांडेय ने कथा में कहा कि जब सावित्री के पति की मृत्यु हो गई थी तो उसके प्राण लेने यमराज पहुंच गए। लेकिन सावित्री ने यमराज से कहा कि आप इनके प्राण नहीं ले जा सकते। यह कहते हुए सावित्री यमराज के पीछे-पीछे चलने लगी। 


अंतिम में यमराज ने सावित्री से कहा कि तुम्हारी पति भक्ति से मैं प्रसन्न हूं। कोई एक वरदान मांग लो। तब सावित्री ने वरदान यह मांगा कि मेरे सास और श्वसुर अपने पुत्र के हाथ से खीर खाते हुए देख सकें। यमराज ने तथास्तु कह दिया। उसके बाद जैसे ही वे आगे बढ़ने लगे तो सावित्री भी पीछे-पीछे चलना जारी रखी। यमराज ने कहा कि अब तो तुम वरदान ले चुकी हो तो मेरे पीछे क्यों आ रही है। तब सावित्री ने कहा कि मेरे पति के प्राण लेकर आप चले जायेंगे तो हमारे सास और श्वसुर कैसे अपने पुत्र से खीर खाएंगे। यह सुनकर यमराज सोच में पड़ गए। वो वरदान दे चुके थे तो कैसे उसे वापस लेते। अंत मे यमराज ने सत्यवान के प्राण लौटा दिए। साथ ही सत्यवान के अंधे माता-पिता की आंखों की रोशनी लौट गई।

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