सरस्वती शिशु विद्या मंदिर 9डी बोकारो में सप्तशक्ति संगम(मातृशक्ति सम्मान एवं संगम समारोह) का आयोजन हुआ। इस कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि रणविजय महिला स्मारक महाविद्यालय की निदेशक डॉ परिंदा सिंह.,सीनीडीह की आचार्या प्रियंका बागची,बाघमारा की आचार्या अनिता कुमारी साव और कार्यक्रम की अध्यक्षा स्नेहा कुमारी ने ओम,मां सरस्वती तथा भारत माता के चित्र के सामने दीप प्रज्वलन व पुष्प अर्पित कर किया। कार्यक्रम की प्रस्तावना रखते हुए परिंदा सिंह ने कहा कि मातृ संगठन के 100 वर्ष पूर्ण हुए हैं, इसमें समाज में परिवर्तन का कार्य अपने परिवार से शुरू करना है और इसकी इकाई मां है। प्रियंका बागची द्वारा कुटुम्ब प्रबोधन विषय पर प्रकाश डाला गया। उन्होंने कहा कि कुटुम्ब मजबूत होगा तो हमारा समाज मजबूत होगा और समाज मजबूत होगा तो हमारा राष्ट्र मजबूत बनेगा, इस कुटुंब की जड़े माताएं होती हैं। उन्होंने पर्यावरण संरक्षण,भारतीय संस्कृति द्वारा जन्मदिन मनाना और मातृशक्ति जैसे विषयों को प्रमुखता से बताया। उसके बाद अनिता कुमारी साव द्वारा सप्तशक्ति संगम पर प्रकाश डाला और कहा कि प्रत्येक नारियों में सात शक्तियां विद्यमान है, इसी के कारण वे सर्वश्रेष्ठ है, उन्हें मातृशक्ति कहा गया है।
विशिष्ट माताओं को किया गया सम्मानित
उन्होंने मातृशक्ति के सात गुणों कृति, श्री, वाक्, स्मृति, मेधा, धैर्य तथा क्षमा का विस्तार से उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि सप्तशक्ति के गुण माता में स्वत: आ जाते हैं, इसके लिए उन्हें कोई विशेष प्रयास की आवश्यकता नहीं है। अध्यक्षीय उद्बोधन समाज सेविका साध्वी झा के द्वारा दिया गया। जिसमें उन्होंने कहा कि माता के गुणों में ममता, सहनशीलता, सेवाभाव, त्याग, करुणा संस्कार, पालनकर्ता, परिवार रक्षक आदि विशेष रूप से देखे जाते हैं। माताओं के बीच से विद्या भारती ने भी मातृशक्ति के ऊपर अपने विचार व्यक्त किया। मौके पर दो विशिष्ट माताओं लालमोती देवी तथा उषा सिन्हा जी को तुलसी पौधा और अंगवस्त्र देकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में प्रश्नोत्तरी, अनुभव कथन, प्रेरणादायी महिलाओं का संदेश(पारंपरिक वेशभूषा के साथ), सामूहिक गीत आदि प्रस्तुत किए गए। संकल्प रूमा सिंह जी द्वारा करवाया गया।कार्यक्रम का संचालन नीलिमा पाण्डेय और अमृता दुबे ने किया।धन्यवाद ज्ञापन पूनम कुमारी द्वारा किया गया। इस अवसर पर विद्यालय प्रबंधकारिणी समिति के सचिव गुप्तेश्वर प्रसाद सिंह, प्राचार्य राजेंद्र कामत, नेहा कुमारी सभी आचार्य दीदी जी के साथ-साथ 251 माताएं उपस्थित रहीं।
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