ओडिसा के पूरी स्थित मंदिर में 11 जून बुधवार को भगवान जगन्नाथ प्रभु को महास्नान करवाया गया। उसी तर्ज पर झारखण्ड के बोकारो सेक्टर-4 स्थित जगनाथ मंदिर परिसर में देव स्नान पूर्णिमा में भगवान जगन्नाथ को 108 कलश जल से महास्नान करवाया गया। जिस कलश जल से भगवान को स्नान करवाया गया, उसमें जल के अलावा दूध, नारियल पानी, गंगा जल मिलाया गया था। इसके बाद षोड्षोपचार पूजन, हवन और आरती की गई। भगवान महास्नान से बीमार होने के कारण 15 दिनों के एकांतवास में चले गए। भगवान को मंदिर के अलग कक्ष में रखा गया है। इस दौरान भगवान भक्तों को दर्शन नहीं देंगे।
तृतीया तिथि से दी जाएगी जड़ी-बूटी से बनी दवाइयां
भगवान के दर्शन नहीं होने से परेशान श्रद्धालु भगवान के जल्द स्वस्थ होने की कामना के साथ तृतीया तिथि से जड़ी-बूटी की दवाइयां लाना शुरू कर देंगे। इस दौरान सिंहासन पर मुकुट की पूजा होगी। भगवान को गर्म वस्त्र पहनाए जाएंगे। आरती में घण्टी नहीं बजाई जाएगी। वहीं भगवान जगन्नाथ दो बार की जगह एक ही बार वस्त्र बदलेंगे। भगवान को अन्न का भोग नहीं लगाया जाएगा। 26 जून को भगवान अपने नवयौवन रूप का दर्शन देंगे।
27 जून को निकलेगी प्रभु जगन्नाथ की रथ यात्रा
नेत्रोत्सव के दूसरे दिन 27 जून को भगवान जगनाथ की पूजा-पाहुण्डी के बाद दोपहर एक बजे रथ यात्रा निकलेगी। पूजा-पहुंडी की रस्म बीएसएल के डायरेक्टर इंचार्ज बीके तिवारी की ओर से निभाई जाएगी। रथ यात्रा को लेकर सेक्टर चार स्थित जगनाथ मंदिर में तैयारियां शुरू कर दी गई है। पंडित हिमांशु शेखर दास और पंडित मानस आचार्या ने कहा कि इस साल भी पिछले साल की तरह भव्य रथ यात्रा निकलेगी।
अदरख व काली मिर्च मिलाकर दी जाएगी पेड़ा
बीमार भगवान को जल्द स्वस्थ होने के लिए दालचीनी, जावित्री,काली मिर्च, लौंग, इलायची को उबालकर काढ़ा और खिचड़ी अर्पित की जाएगी। पंडित मानस आचार्या ने कहा कि भगवान को मीठा पसंद है। इस वजह से बीमारी के दौरान अदरक का रस और काली मिर्च मिलाकर तैयार किए गए पेड़े का भोग लगाया जाएगा। वह प्रतिदिन पांच बार होने वाली आरती एक ही बार ही होगी। रथ यात्रा जगन्नाथ मंदिर से निकलकर सेक्टर एक स्थित राम मंदिर स्थित मौसीबाड़ी तक जाती है। रथ यात्रा दिन पूजा की रस्म बीएसएल डायरेक्टर इंचार्ज निभाते हैं। रथ यात्रा में ओड़िसा, पश्चिम बंगाल और झारखंड के लोग शामिल होते हैं।