झारखण्ड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने हूल विद्रोह के महानायकों को श्रद्धासुमन अर्पित की। उन्होंने कहा कि संथाल हूल विद्रोह के महानायक अमर वीर शहीद सिदो-कान्हू, चांद-भैरव, फूलो-झानो और हजारों वीर शहीदों के संघर्ष और समर्पण के पदचिन्हों पर चलने वाले बाबा दिशोम गुरुजी अभी अस्वस्थ हैं। इस कारण वे इस बार भोगनाडीह की क्रांतिकारी, वीर भूमि पर नहीं आ पाया।
हूल हमारी ताकत और पहचान है
उन्होंने कहा कि हूल दिवस हमारे लिए सिर्फ एक दिन का कार्यक्रम नहीं है। हूल दिवस हमारे लिए संकल्प का दिन है, हूल हमारी ताकत है, हूल हमारी पहचान है। आने वाले समय में आदिवासी धर्म कोड, आदिवासी संस्कृति, भाषा, सभ्यता और पहचान के लिए हूल उलगुलान होगा।
चास आईटीआई मोड़ पर हूल विद्रोह के महानायको को किया गया माल्यार्पण
सेल बीएसएल बोकारो शेडयूल ट्राइब इम्पलाईज फेडरेशन यूनिट की ओर से चास आईटीआई मोड़ के पास अमर वीर शहीद सिदो-कान्हू के प्रतिमा पर माल्यार्पण केंद्रीय अध्यक्ष विल्सन कोनगाड़ी के नेतृत्व में किया गया। केंद्रीय अध्यक्ष ने कहा हम आज 170 वां हुल दिवस मना रहे है और हम उन सभी हूल विद्रोह के महानायक अमर वीर शहीद सिदो-कान्हू, चांद-भैरव, फूलो-झानो और अन्य वीर शहीदों तथा वीरांगनाओं के संघर्षो को कभी नही भुला जा सकता है।
कार्यक्रम में फेडरेशन के निम्न सदस्य का उपस्थित रहै
कार्यक्रम में केंद्रीय अध्यक्ष वील्सन कोंगाड़ी, यूनिट कमेटी के अध्यक्ष प्रवीण कुमार किस्कू, केंद्रीय सदस्य सह तकनीकी प्रभारी अमन बास्की, महासचिव काली मांझी, जीसी मिंज,कुलदीप तिर्की, ओमप्रकाश भगत आदि उपस्थित रहे।