झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यसभा सांसद शिबू सोरेन का लंबी बीमारी के बाद दिल्ली के गंगाराम अस्पताल में निधन हो गया। वे 81 वर्ष के थे। उनके निधन पर झारखंड सहित पूरे देश में शोक की लहर है।
राज्य सरकार ने 4 और 5 अगस्त को सभी सरकारी कार्यालय बंद रखने का निर्णय लिया है। साथ ही तीन दिन का राजकीय शोक घोषित किया गया है, इस दौरान राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहेगा।
एक नजर उनके जीवन पर:
जन्म: 11 जनवरी 1944, नेमरा गांव, हजारीबाग (तत्कालीन बिहार)
शिक्षा: स्कूली पढ़ाई गांव से ही
राजनीति की शुरुआत: 1970 में महाजनी प्रथा के खिलाफ आंदोलन से
लोकसभा सांसद: 8 बार (दुमका से)
मुख्यमंत्री: तीन बार (2005, 2008, 2009)
राज्यसभा सांसद: 2002 से 2004 तककेंद्रीय मंत्री: कोयला मंत्रालय
झारखंड आंदोलन के अग्रदूत
शिबू सोरेन ने झारखंड आंदोलन को दिशा देने के साथ-साथ गरीबों और आदिवासियों की आवाज़ को संसद तक पहुंचाया। वे जनता के बीच ‘दिशोम गुरु’ के नाम से विख्यात थे। उनका जीवन संघर्ष, नेतृत्व और सामाजिक न्याय की मिसाल बना रहेगा।
बोकारो से था खास जुड़ाव
शिबू सोरेन का बोकारो से विशेष लगाव था। कोयला मंत्री रहते हुए और मुख्यमंत्री बनने के बाद भी वे लगातार बोकारो आते रहे। उन्होंने यहां के श्रमिकों और ग्रामीणों की समस्याओं को प्रमुखता से उठाया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर जताया शोक:
"श्री शिबू सोरेन जी एक ज़मीनी नेता थे, जिन्होंने जनता के प्रति अटूट समर्पण के साथ सार्वजनिक जीवन में ऊंचाइयों को छुआ। वे आदिवासी समुदायों, गरीबों और वंचितों के सशक्तिकरण के लिए विशेष रूप से समर्पित थे। उनके निधन से दुःख हुआ। मेरी संवेदनाएँ उनके परिवार और प्रशंसकों के साथ हैं। झारखंड के मुख्यमंत्री श्री हेमंत सोरेन जी से बात की और संवेदना व्यक्त की। ॐ शांति।"
— नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री भारत
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने शोक जताते हुए ट्वीट किया:
"आदरणीय दिशोम गुरुजी हम सभी को छोड़कर चले गए हैं।
आज मैं शून्य हो गया हूँ..."
— हेमंत सोरेन, मुख्यमंत्री झारखंड