शारदीय नवरात्र का शुभारंभ: प्रथम दिन हुई मां शैलपुत्री की पूजा-अर्चना


सभी मंदिरों और पूजा पंडालों में कलश स्थापना के साथ शारदीय नवरात्र शुरू हो गया. पहले दिन माता के पहले स्वरूप मां शैलपुत्री की पूजा-अर्चना की गई. सभी सेक्टरों स्थित पूजा पंडालों में कलश स्थापना के साथ माता की पूजा और आरती की गई. मां दुर्गा के मंत्रों से पूरा वातावरण भक्तिमय हो गया. शास्त्रों के अनुसार प्रतिपदा तिथि पर पर्वतराज हिमालय की पुत्री मां शैलपुत्री का स्वरूप अत्यंत दिव्य और शांत है. यह बैल पर सवार रहती हैं. 

माता के प्रथम स्वरूप की पूजा से शक्ति आती है 


माता शैलपुत्री की पूजा-अर्चना से जीवन स्थिरता, शक्ति और दृढ़ता आती है. साथ ही चंद्रदोष से मुक्ति मिलती है.  माता के शैलपुत्री स्वरूप में दाहिने हाथ में भगवान शिव का त्रिशूल है. जबकि बाएं हाथ में कमल पुष्प सुशोभित है. नवरात्र के दूसरे दिन मां ब्रम्हचारिणी की पूजा की जाएगी। ऐसी मान्यता है कि इससे तपस्या और आत्मसंयम की प्राप्ति होती है. 

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