बोकारो के सभी पूजा पंडालों में माता के नौवें और अंतिम स्वरूप मां सिद्धिदात्री की पूजा-अर्चना की गई. उसके बाद कन्या पूजन किया गया। मां सिद्धिदात्री सभी प्रकार की सिद्धियों को प्रदान करती हैं और उन्हें देवी दुर्गा का अंतिम रूप माना जाता है। माना जाता है कि मां सिद्धिदात्री की आराधना से भक्तों को अलौकिक शक्तियां और सिद्धियां प्राप्त होती हैं।
मां का स्वरूप अत्यंत दिव्य और सुशोभित होता है, जो अपने भक्तों को समस्त इच्छाएं पूरी करने का आशीर्वाद देती है. मां सिद्धिदात्री को बैंगनी या जामुनी रंग के वस्त्र अर्पित करना शुभ माना जाता है.
इस दिन मां को हलवा-पूरी और चने का भोग लगाना चाहिए, साथ ही मौसमी फल, नारियल और खीर का भी भोग लगाया जा सकता है.
मां को सफेद कमल, नीला कमल, चंपा, गुड़हल, चमेली और अपराजिता जैसे फूल अर्पित किए जा सकते हैं.
यह नवमी तिथि देवी दुर्गा के नौवें और अंतिम रूप, मां सिद्धिदात्री को समर्पित है, जिनकी पूजा करने से साधक को सभी प्रकार की सिद्धियों की प्राप्ति होती है।
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