प्रकृति की सुरम्य गोद में स्थित आध्यात्मिक केंद्र आनंद नगर में आनंद मार्ग प्रचारक संघ द्वारा आयोजित भव्य धर्म महासम्मेलन के प्रथम दिवस का शुभारंभ आध्यात्मिक ऊर्जा और उत्साह से परिपूर्ण रहा। प्रातःकालीन सत्र की शुरुआत साधकों द्वारा गुरु सकाश, पांचजन्य एवं सामूहिक साधना से हुई, जिससे संपूर्ण वातावरण आध्यात्मिक चेतना से गुंजायमान हो उठा। पुरोधा प्रमुख जी के आगमन पर आनंद मार्ग सेवा दल के समर्पित स्वयंसेवकों ने उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर प्रदान कर गरिमामय स्वागत किया। इसके पश्चात हरि परिमंडल गोष्ठी (महिला विभाग) के अंतर्गत आचार्या अवधूतिका आनंद आराधना के नेतृत्व में 25 साधिका बहनों ने कौशिकी नृत्य की भावपूर्ण प्रस्तुति दी, जिसने सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। वहीं हरि परिमंडल गोष्ठी (सेवा धर्म मिशन) के तहत आचार्य सुष्मितानंद अवधूत के निर्देशन में 25 बाल साधकों ने जोश और ऊर्जा से परिपूर्ण तांडव नृत्य प्रस्तुत किया, जिसने पूरे माहौल को ओजस्विता और आध्यात्मिक उत्साह से भर दिया।
संपूर्ण ब्रम्हांड के लिए कीर्तन महत्वपूर्ण
पुरोधा प्रमुख श्रद्धेय आचार्य विश्वदेवानंद अवधूत जी ने कहा कि सम्पूर्ण ब्रह्मांड के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है कीर्तन क्योंकि यह अष्टाक्षरी सिद्ध महामंत्र बाबा नाम केवलम् जिसे सद्गुरु श्री आनंदमूर्ति जी ने 8 अक्टूबर 1970 को अमझरिया, लातेहार जिला, झारखंड, भारत में स्थापित किया था। आठ अक्षरों वाला यह शक्तिशाली और सार्वभौमिक मंत्र, सार्वभौमिक प्रेम का सार है और दुनिया भर के आध्यात्मिक साधकों द्वारा इसका अभ्यास किया जाता है।मन के तमोगुण के प्रभाव को कम करने के लिए कीर्तन बहुत जरूरी है। कीर्तन, भक्ति और ध्यान का अद्वितीय माध्यम है, जिसके माध्यम से एक व्यक्ति ईश्वर के साथ गहरा संवाद स्थापित कर सकता है। उन्होंने ने बताया कि कीर्तन की शक्ति व्यक्ति को अविरल ध्यान, स्थिरता और आनंद की अनुभूति देती है। यह एक अद्वितीय विधि है जो हमें मन, शरीर और आत्मा के संगम के अनुभव को आदर्श दर्शाती है।
कीर्तन से मन को संयमित किया जा सकता है
कीर्तन से हम अपने मन को संयमित कर सकते हैं और इंद्रियों के विषयों के प्रति वैराग्य की प्राप्ति कर सकते हैं। यह हमें अविरल स्थिति में रहने की क्षमता प्रदान करता है और हमारे जीवन को धार्मिक और आध्यात्मिक महत्वपूर्णता के साथ भर देता है। उपस्थित आदर्शवादियों को यह संदेश दिया कि कीर्तन एक उच्चतम और श्रेष्ठतम भावनात्मक अभ्यास है, जो हमें अशांति, तनाव और चिंता से मुक्ति दिलाता है। यह हमें ईश्वर के साथ गहरे संबंध बनाने और अपने आन्तरिक शक्ति को प्रकट करने में सहायता करता है। कीर्तन एक साधना है जो हमें समाज के बंधनों से मुक्त करती है और हमारी आत्मिक एवं मानसिक स्वतंत्रता का अनुभव कराती है। यह हमें प्रेम, सहानुभूति और एकाग्रता की अनुभूति कराता है, जो हमारे जीवन को सुखी और समृद्ध बनाता है।
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